क्या हुआ
ठाणे जिला अदालत के स्टोर/रिकॉर्ड सेक्शन में धुएँ के हल्के बादल दिखे। सुरक्षा अलार्म बजते ही आसपास के कॉरिडोर खाली कराए गए और रिकॉर्ड-रूम की ओर आवाजाही रोक दी गई। शुरुआती मिनटों में ही धुआँ सीमित कर लिया गया, इसलिए आग फैलने से पहले स्थिति काबू में आ गई—किसी के घायल होने की खबर नहीं।
उन्होंने कैसे किया
ड्यूटी स्टाफ ने इवैक्युएशन-प्लान तुरंत चालू किया, फाइल-रैक से ज्वलनशील कागज़ दूर किए और बिजली-कटऑफ लागू कराया। कंट्रोल-रूम कॉल के मिनटों भीतर फायर ब्रिगेड पहुँची; स्प्रिंकलर/वॉटर-जेट से “फास्ट-अटैक” किया गया और धुएँ का स्रोत ठंडा किया गया। पुलिस ने कॉरिडोर में मानव-श्रृंखला बनाकर भीड़ को सुरक्षित दूरी पर रखा।
क्यों मायने रखता है
सार्वजनिक इमारतों में छोटी-सी देरी भी बड़ी घटना में बदल सकती है। अलार्म-सिस्टम, प्रशिक्षित स्टाफ और साफ निकासी-मार्ग—ये तीनों मिलकर “मिनटों में नियंत्रण” संभव बनाते हैं, जिससे जनता और केस-रिकॉर्ड—दोनों सुरक्षित रहते हैं।
सीख
हर ऑफिस-फ्लोर पर एग्ज़िट-मैप समझाया हुआ हो, ड्रिल की तारीख तय हो, और हर शिफ्ट में फायर-वार्डन नामित हो—तभी संकट की घड़ी में घबराहट की जगह कदम चलते हैं।
आप क्या करें
फ्लोर-वाइज फायर-ड्रिल शेड्यूल बनाइए, “बिजली/फायर-कटऑफ” की लोकेशन का स्पष्ट बोर्ड लगाइए, और स्टोर-रूम में नो-क्लटर नियम अपनाइए। हर तिमाही एक्सटिंग्विशर की प्रेशर-चेक/रिफिल कराइए।
रोकथाम
रिकॉर्ड-एरिया में “हॉट-वर्क” (जैसे कटिंग/वेल्डिंग) पर रोक, एक्सटेंशन-कॉड का सीमित उपयोग, धुआँ/ताप सेंसर की मेंटेनेंस, और कॉरिडोर हमेशा खाली—यही चार आदतें आग को घटना बनने से रोकती हैं।
निष्कर्ष
उद्धरण: “असक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर” (अध्याय 3.19)
संदेश: ड्रिल/चेकलिस्ट जैसे छोटे अनुशासन ही बड़ी दुर्घटनाएँ टालते हैं।
निष्कर्ष: इस घटना में कारगर रहा—फास्ट-अटैक लाइन, स्प्रिंकलर/वेट-लाइन तैयार. नियम-अनुशासन और ‘मैं नहीं—हम’ का भाव—हादसा बड़ा बनने से रुकता है। (ड्रिल/चेकलिस्ट जैसे छोटे अनुशासन ही बड़ी दुर्घटनाएँ टालते हैं।)