क्या हुआ
नलगोंडा के पिट्टमपल्ली के पास हाईवे पर निजी बस के इंजन-एरिया से धुआँ/आग दिखी। ड्राइवर ने तुरंत बस कंधे पर रोकी, अलार्म/हाज़र्ड ऑन किया और यात्रियों को व्यवस्थित तरीके से उतारा। 29 यात्री सुरक्षित निकले; वाहन क्षतिग्रस्त हुआ पर जनहानि नहीं।
उन्होंने कैसे किया
ड्राइवर ने इमीडिएट स्टॉप, इग्निशन/मास्टर-स्विच ऑफ़, हाज़र्ड लाइट्स और दोनों दरवाज़ों से “सीट-ब्लॉक” के अनुसार निकासी कराई। यात्रियों ने बिना धक्का-मुक्की कतार बनाकर बाहर निकास किया और वाहन से दूरी बनाई। फायर टेंडर ने पानी/फोम से फास्ट-अटैक कर इंजन भाग को ठंडा किया; पुलिस ने ट्रैफ़िक को डाइवर्ट किया।
क्यों मायने रखता है
चलती बस में सबसे बड़ा जोखिम घबराहट है—एक गलत कदम सामूहिक ख़तरा बन सकता है। प्रोटोकॉल्ड निकासी, साफ़ निर्देश और मिनटों के भीतर प्रतिक्रिया बड़े हादसों को टालती है और आग को वाहन-सीमित रखती है।
सीख
यात्रा शुरू होते ही आपात-द्वार, हथौड़ी और एक्सटिंग्विशर की लोकेशन देख लें; गलियारा खाली रखें और भारी बैग सीट के नीचे न रखें—इमरजेंसी में रास्ता साफ़ तभी रहता है।
आप क्या करें
धुआँ/जली गंध आए तो ड्राइवर के निर्देश पर भरोसा करें—फ़ोन निकालने के बजाय तुरंत उतरें, सड़क की तरफ़ नहीं, कंधे की तरफ़ खड़े हों, बच्चों/बुज़ुर्गों को बीच में रखें और वाहन से कम-से-कम 15 मीटर दूरी बनाएँ।
रोकथाम
ऑपरेटर: फ्यूल/कूलेंट-लाइनों व वायरिंग की नियमित सर्विसिंग, आफ्टर-मार्केट इलेक्ट्रिकल मॉड्स पर नियंत्रण, एक्सटिंग्विशर वैधता और क्रू-ड्रिल तिमाही। यात्री: ज्वलनशील/एयरोसोल कैन कैबिन में न रखें; इंजन-सम्बंधी गंध/धुआँ दिखे तो तुरंत सूचित करें।
निष्कर्ष
उद्धरण: “असक्तः सततं कार्यं कर्म समाचर” (अध्याय 3.19)
संदेश: ड्रिल/चेकलिस्ट जैसे छोटे अनुशासन ही बड़ी दुर्घटनाएँ टालते हैं।
निष्कर्ष: इस घटना में कारगर रहा—दोनों दरवाज़ों से निकासी, फास्ट-अटैक लाइन. नियम-अनुशासन और ‘मैं नहीं—हम’ का भाव—हादसा बड़ा बनने से रुकता है। (ड्रिल/चेकलिस्ट जैसे छोटे अनुशासन ही बड़ी दुर्घटनाएँ टालते हैं।)